Submitted by on 3 December 2025
Dr VK Saraswat

डॉ. विजय कुमार सारस्वत

सदस्य, नीति आयोग और
चांसलर, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय

डॉ. विजय कुमार सारस्वत एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक हैं जिनके पास रक्षा अनुसंधान में बुनियादी और अनुप्रयुक्त विज्ञान दोनों में कई दशकों का व्यापक अनुभव है।

कई दशकों तक सरकारी सेवा करने के बाद वे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने उस्मानिया विश्वविद्यालय से पीएचडी और भारतीय विज्ञान संस्थान से एमई की डिग्री हासिल की है।

डॉ. सारस्वत का कैरियर शानदार रहा है और उन्हें पृथ्वी, धनुष, प्रहार, और अग्नि-5 जैसी मिसाइलों; दो स्तरीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली के स्वदेशी विकास; हल्के लड़ाकू विमान तेजस; और परमाणु पनडुब्बी (सबमरीन) आईएनएस अरिहंत की प्रारंभिक संचालन मंजूरी का श्रेय दिया जाता है।

डीआरडीओ के सचिव के रूप में डॉ. सारस्वत ने निम्नलिखित में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई : (i) परमाणु सिद्धांत का समर्थन करने के लिए रणनीतिक परमाणु परिसंपत्तियों के लिए कमांड, नियंत्रण, संचार, भंडारण, परिवहन और तैनाती अवसंरचना की स्थापना; (ii) लंबी दूरी की सबसोनिक क्रूज़ मिसाइल का उड़ान मूल्यांकन (iii) बैलिस्टिक मिसाइल के खतरों के खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की रक्षा के लिए आने वाली (शत्रु) बैलिस्टिक मिसाइलों पर नज़र रखने के लिए निर्णय समर्थन प्रणाली के साथ लंबी दूरी के रडार, कमांड, नियंत्रण और संचार नेटवर्क, कमांड सेंटर, (iv) साइबर सुरक्षा के लिए आक्रामक और रक्षात्मक प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए साइबर सुरक्षा अनुसंधान और विकास केंद्र की स्थापना।

होमी भाभा चेयर प्रोफेसर और आईओसीएल आरएंडडी के सलाहकार के रूप में डॉ. सारस्वत ने स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकियों जैसी वैकल्पिक ऊर्जा प्रणालियों; उच्च दक्षता केंद्रित सौर ऊर्जा प्रणालियों, और बायो एनर्जी एवं हाइड्रोजन आधारित अर्थव्यवस्था के विकास के लिए रोडमैप विकसित किया। वर्तमान में वे अनुसंधान सलाहकार परिषद, आईओसीएल आरएंडडी के अध्यक्ष हैं।

एनटीपीसी आरएंडडी सलाहकार परिषद के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने 40 प्रतिशत से बेहतर दक्षता और ग्रीनहाउस गैसों के बहुत ही कम उत्सर्जन पर काम करने के लिए स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकियों और उन्नत अल्ट्रा सुपरक्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक समान वैकल्पिक ऊर्जा प्रौद्योगिकी विकास योजना तैयार की।

डॉ. सारस्वत ने फोटोनिक्स इंक, यूएसए के सहयोग से तेलंगाना में फोटोनिक्स वैली कॉर्पोरेशन जो तेलंगाना सरकार की पहल है, की स्थापना करके सिलिकॉन फोटोनिक्स प्रौद्योगिकी के विकास के लिए कार्यक्रम शुरू किया। ऐसी उम्मीद की गई है कि यह कार्यक्रम 5जी और सुपर कंप्यूटर जैसे अगली पीढ़ी के नेटवर्क के लिए गेमचेंजर बनेगा।

भारतीय माइक्रोप्रोसेसर विकास समिति के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने आईओटी, स्मार्ट सिटीज और अन्य आईसीटी अनुप्रयोगों के लिए एम-प्रोसेसर के कॉन्फ़िगरेशन का विकास करने के लिए गठित टीम का नेतृत्व किया। उन्होंने डाइटी, सीडीएसी, आईआईटी (एम), आईआईटी (बी) और एससीएल चंडीगढ़ के साथ विकास की कार्यनीति भी बनाई। आईआईटी (बी) और आईआईटी (एम) द्वारा दो उपकरण पहले ही विकसित किए जा चुके हैं।

उन्होंने भारतीय रेलवे के लिए भारतीय रेलवे अनुसंधान संस्थान (श्रेष्ठ) की स्थापना के लिए अवधारणा दस्तावेज़ विकसित किया है, जो हाई स्पीड रेल प्रणाली और समर्पित फ्रेट कॉरिडोर जैसे कार्यक्रमों में स्वदेशी डिजाइन और विनिर्माण को बढ़ावा देगा और रेलवे में अनुसंधान एवं विकास के एक नए युग की शुरुआत करेगा।

नीति आयोग के सदस्य के रूप में डॉ. सारस्वत ने परिवहन, ऊर्जा उत्पादन और रसायनों और उर्वरकों आदि के उत्पादन के लिए 'मेथनॉल इकोनॉमी' कार्यक्रम शुरू किया। इस उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए उत्पादन एजेंसियों, शैक्षणिक संस्थानों और पेट्रो-रिफाइनरियों को एक साथ लाया गया है। इस पहल के हिस्से के रूप में, देश में एम-15 गैसोलीन मिश्रण, मेथनॉल कूकिंग स्टोव, अंतर्देशीय जलमार्गों के लिए मेथनॉल ईंधन वाले प्रणोदन और मेथनॉल ईंधन वाले जेनसेट पेश किए जा रहे हैं। शिक्षा और उद्योग स्तर पर, उच्च राख सामग्री वाले भारतीय कोयले के गैसीकरण में अनुसंधान एवं विकास किया गया है।

डॉ. सारस्वत ने तकनीकी टेक्स्टाइल पर गठित समिति की अध्यक्षता भी की और भारत में इस क्षेत्र के भावी विकास के लिए रोडमैप तैयार किया। योजना ने रणनीतिक और बैलिस्टिक जरूरतों के लिए कार्बन और एरामिड जैसे फाइबर और तकनीकी टेक्सटाइल के स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया और इस क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास को पुनर्जीवित करने पर जोर दिया।

उन्होंने 'मेक इन इंडिया इन बॉडी आर्मर के लिए रोडमैप' तैयार करने के लिए गठित समिति की अध्यक्षता भी की है। बाद में समिति की रिपोर्ट के अंशों का उपयोग शरीर कवच पर बीआईएस मानकों को तैयार करने के लिए किया गया था।

डॉ. सारस्वत ने राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग सिस्टम के विकास के लिए गठित अधिकार प्राप्त तकनीकी सलाहकार समिति का नेतृत्व किया। विकास के लिए विन्यास और कार्यनीति विकसित की गई है और कार्यक्रम को बहु-संगठन मिशन के रूप में शुरू किया गया है।

उन्हें पद्म श्री (1998) और पद्म भूषण (2013) सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उन्हें 25 से अधिक विश्वविद्यालयों द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया है, जिसमें सबसे हाल ही में 2018 में जामिया हमदर्द से मिली उपाधि शामिल है।

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