Indices
राज्य रैंकिंग
समग्र जल प्रबंधन सूचकांक

सूचकांक के तीसरे दौर पर काम चल रहा है। तीसरे संस्करण में नीति आयोग जल क्षेत्र के जिला-वार डेटा के साथ एक नया और व्यापक डैशबोर्ड भी लॉन्च करेगा। सभी राज्य नोडल अधिकारियों के लिए नए डैशबोर्ड पर 17 नवंबर 2020 को एक प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया गया था जो पोर्टल पर डेटा अपडेट करेंगे। कृपया यहां पिछली रिपोर्ट पढ़ें।

जिला अस्पताल सूचकांक

समावेशी माध्यमिक स्तर की स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं प्रदान करने में जिला अस्पतालों की महत्वपूर्ण भूमिका और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत उन्हें आवंटित उदार धनराशि के बावजूद, उनके प्रदर्शन का आकलन करने के लिए कोई व्यापक प्रणाली नहीं है। इसलिए, डब्ल्यूएचओ और एमओएच एंड एफडब्ल्यू के विशेषज्ञों वाले एक कार्यकारी समूह द्वारा तैयार किए गए रूपरेखा के अनुसार, नीति आयोग ने 10 प्रमुख निष्पादन संकेतकों के आधार पर जिला अस्पतालों के प्रदर्शन को ट्रैक करने का बीड़ा उठाया। नेशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड ऑफ हॉस्पिटल्स-क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (एनएबीएच-क्यूसीआई) को प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से डेटा सत्यापन के लिए चुना गया था। 10 संकेतकों में से प्रत्येक में वित्त वर्ष 2017-18 के लिए शीर्ष प्रदर्शन करने वाले जिला अस्पतालों को चिह्नित किया गया और उनकी सर्वोत्तम प्रथाओं को एकत्र और प्रलेखित किया गया। कृपया रिपोर्ट यहां पढ़ें। जिला अस्पताल सूचकांक - दौरा 2 वर्तमान में चल रहा है।

निर्यात तैयारी सूचकांक

पहला निर्यात तैयारी सूचकांक (ईपीआई) अगस्त 2020 में शुरू किया गया था और इसे नीति आयोग ने इंस्टीट्यूट फॉर कॉम्पिटिटिवनेस के साथ साझेदारी में विकसित किया था। ईपीआई सभी राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों को उनकी निर्यात तत्परता और प्रदर्शन के आधार पर रैंक प्रदान करता है। ईपीआई 2020 चार स्तंभों पर आधारित है: निर्यात नीति; व्यापार वातावरण; निर्यात अवसंरचना; और निर्यात प्रदर्शन। इसका उपयोग राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा अपने समकक्षों के मुकाबले अपने प्रदर्शन को बेंचमार्क करने और उप-राष्ट्रीय स्तर पर निर्यात-आधारित विकास को बढ़ावा देने हेतु बेहतर नीतिगत तंत्र विकसित करने के लिए संभावित चुनौतियों का विश्लेषण करने के लिए किया जा सकता है।

वैश्विक नवाचार सूचकांक

नीति आयोग वैश्विक नवाचार सूचकांक सहित वैश्विक सूचकांकों में भारत की रैंकिंग सुधारने की दिशा में लगातार काम कर रहा है। वैश्विक नवाचार सूचकांक में भारत की रैंकिंग में सुधार लाने हेतु नीति आयोग का नोडल विभाग विज्ञान और प्रौद्योगिकी वर्टिकल है। यह वर्टिकल विश्वसनीय आंकड़ों की उपलब्धता में होने वाली कमियों को दूर करने के लिए वर्ल्ड इंटलेक्चूअल प्रोपर्टी ऑर्गनिजैसेशन नामक प्रकाशन एजेंसी के साथ-साथ संबद्ध मंत्रालयों के संपर्क में है। नीति आयोग उन नीतिगत अंतःक्षेपों को काम में लाने की दिशा में सक्रिय रूप से कार्य कर रहा है जो भारत की अंतर्निहित क्षमता का लाभ उठा सकते हैं। नीति आयोग के निरंतर प्रयासों के कारण, भारत पिछले कई वर्षों से वैश्विक नवाचार सूचकांक (जीआईआई) में 2015 के 81वें स्थान से 2021 में 46वें स्थान पर पहुंच कर एक बढ़ती हुई राह पर है।

भारत नवाचार सूचकांक

भारत नवाचार सूचकांक प्रत्येक वर्ष नीति आयोग और इंस्टीट्यूट फॉर कॉम्पिटिटिवनेस द्वारा जारी किया जाता है। सूचकांक सभी राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों में नवाचार वातावरण के निरंतर मूल्यांकन के लिए एक व्यापक ढांचा बनाने का प्रयास करता है; यह उन्हें उनके स्कोर के आधार पर रैंक प्रदान करता है। नीति आयोग ने 20 जनवरी 2021 को दूसरा संस्करण जारी किया। नीति आयोग राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों को सूचकांक में अपनी रैंकिंग में सुधार करने में भी मदद कर रहा है, जिसके परिणामस्वरूप वैश्विक नवाचार सूचकांक में भारत की रैंकिंग में सुधार होगा। नवीनतम रिपोर्ट कृपया यहां पढ़ें।

बहुआयामी गरीबी सूचकांक

बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) बहुआयामी गरीबी की अधिकता को मापने का एक अंतरराष्ट्रीय मापदंड है, जो 100 से अधिक विकासशील देशों को कवर करता है। नीति आयोग को भारत में वैश्विक एमपीआई के लिए नोडल जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस अधिदेश के भाग के रूप में, नीति आयोग प्रगति की निगरानी, राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों की रैंकिंग और प्रदर्शन की समीक्षा करने, सुधार कार्य योजनाएं तैयार करने और प्रकाशन एजेंसियों, ओपीएचआई और यूएनडीपी के सहयोग से एक स्वदेशी राष्ट्रीय एमपीआई तैयार करने के लिए जिम्मेदार है। एक राष्ट्रीय एमपीआई केंद्र और राज्यों को उनके विकास में बाधा डालने वाले घटकों को समझने में सुविधा प्रदान करेगा और अंतःक्षेपों को अधिक उपयोगी और प्रभावशाली बनाने में उनकी सहायता करेगा।

स्कूल शिक्षा गुणवत्ता सूचकांक

नीति आयोग ने सितंबर 2019 में पहला स्कूल शिक्षा गुणवत्ता सूचकांक (एसईक्यूआई) जारी किया था। अब, विभिन्न राज्य सरकारों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, सभी हितधारकों के परामर्श से एसईक्यूआई सूचकांकों की पुनरीक्षा/संशोधन किया जाएगा और कुछ नए सूचकांक तैयार किए जाएंगे। एसईक्यूआई का अगला संस्करण राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण 2021 डेटा की उपलब्धता के बाद जारी किया जाएगा।

एसडीजी इंडिया इंडेक्स

एसडीजी इंडिया इंडेक्स सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) की प्रगति का दुनिया का पहला सरकारी नेतृत्व वाला उप-राष्ट्रीय उपाय है। सूचकांक का पहला संस्करण दिसंबर 2018 में लॉन्च किया गया था; दूसरा 30 दिसंबर 2019 को जारी किया गया; और तीसरा संस्करण जून 2021 में लॉन्च किया गया था। सूचकांक के लिए एक डैशबोर्ड विकसित किया गया है, जिसमें इंटरैक्टिव विज़ुअलाइज़ेशन है, जो सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है। डैशबोर्ड को वर्तमान में कई नई सुविधाओं और इंटरैक्टिव उपयोगकर्ता घटकों के साथ अपग्रेड किया जा रहा है ताकि इसकी उपयोगिता को और बढ़ाया जा सके। नवीनतम रिपोर्ट कृपया यहां पढ़ें। एसडीजी के बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया यहां पढ़ें।

राज्य ऊर्जा सूचकांक

नीति आयोग डिस्कॉम की व्यवहार्यता और प्रतिस्पर्धा, ऊर्जा की किफायती पहुंच और स्थिरता, स्वच्छ ऊर्जा पहल, ऊर्जा दक्षता आदि को कवर करने वाले संकेतकों के आधार पर राज्यों के प्रदर्शन का आकलन करने के लिए एक राज्य ऊर्जा सूचकांक पर काम कर रहा है। यह सूचकांक अपने ऊर्जा संसाधनों को कुशलतापूर्वक प्रबंधित करने में राज्यों के प्रदर्शन को और बेहतर करेगा।

राज्य स्वास्थ्य सूचकांक

नीति आयोग, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सहयोग से और विश्व बैंक की तकनीकी सहायता से, विभिन्न संकेतकों पर राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों के वार्षिक प्रदर्शन के आकलन के लिए 2017 से स्वास्थ्य सूचकांक पहल का नेतृत्व कर रहा है। इनमें स्वास्थ्य परिणाम, शासन और प्रक्रियाएं शामिल हैं। सूचकांक का उद्देश्य राज्यों को स्वास्थ्य क्षेत्र में परिवर्तनकारी कार्रवाई करने के लिए प्रेरणा देना है। चौथे दौर (2019-20) के लिए सूचकांक रिपोर्ट दिसंबर 2021 में जारी की गई थी। कृपया रिपोर्ट यहां पढ़ें।